उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में हादसे के बाद भी पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने कोई सीख नहीं ली है। अस्पताल की छत पर खुले तार आज भी दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। सफाई के दौरान ये तार सफाई कर्मचारियों के लिए जान का जोखिम बन रहे हैं। न सिर्फ तार बल्कि एक वार्ड के टॉयलेट की सालभर पहले गिरी दीवार आज भी फिर से गिरने को तैयार है। अस्पताल के मुख्य प्रशासनिक भवन से आगे प्रिंस बिजय सिंह की मूर्ति की तरफ आगे बढ़कर जब छत पर चढ़ते हैं तो वहां सिर्फ और सिर्फ कचरा नजर आता है। इसी कचरे के बीच भारी भरकम तार खुले पड़े हैं। हैवी लोड वाले ये तार हवा के एक झौंके से जब आपस में चिपकते हैं तो न सिर्फ धमाका करते हैं बल्कि इसमें आग भी नजर आती है। गुरुवार दोपहर ही एक सफाई कर्मचारी इस करंट की चपेट में आता-आता बच गया। उसके झाडू से जब तार आपस में चिपके तो जोर से धमाका हुआ और आग की लपटे दिखाई देने लगी। गनीमत रही कि सफाई कर्मचारी के हाथ में झाडू का लकड़ी का डंडा था और वो थोड़ी दूरी पर खड़ा था। तारों को हटाने का काम तो शुरू हुआ
अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र वर्मा को इस बारे में जानकारी दी गई तो वो तुरंत मौके पर पहुंचे। जहां से तारों को हटाने का काम तो शुरू हुआ है, लेकिन पूरे पीबीएम अस्पताल में ये हालात लगभग हर वार्ड के ऊपर की छत पर है। बेतरतीब बिछी हुई लाइनों को कब और कहां जोड़ दिया गया है, ये समझना ही मुश्किल है। डॉ. वर्मा ने बताया कि तुरंत ही सभी तारों को हटाया जा रहा है। लाइनों को फिर से सुरक्षित किया जा रहा है। टूटी छत बनी मुसीबत
अस्पताल के सी वार्ड के ऊपर जिस हिस्से में तार खुले पड़े हैं, वहीं पर सी वार्ड के टूटे हुए टॉयलेट की छत भी है। एक साल पहले ये छत गिर गई थी, जिसके बाद किसी ने इसकी मरम्मत का प्रयास नहीं किया। हालात ये है कि छत के आसपास का हिस्सा भी अब गिरने की स्थिति में है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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