जयपुर शहर में डॉग बाइट की समस्या को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मनीष शर्मा की खंडपीठ में आज इस मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने शहर में बढ़ रही डॉग बाइट की घटनाओं को लेकर 24 सितम्बर 2024 को स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था। आज अदालत ने स्वायत्त शासन विभाग और नगर निगम ग्रेटर व हेरिटेज से पूछा कि उन्होंने आवारा कुत्तों की समस्या से निजात के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसे लेकर कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा हैं। रोज डॉग बाइट की घटनाएं हो रही है
मामले में न्याय मित्र अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों द्वारा आमजन को काटने की रोज की समस्या हो गई हैं। आए दिन हम डॉग बाइट की खबरें सुनते हैं। कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या खत्म होनी चाहिए। लेकिन इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हो रहा हैं। इसे लेकर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट 1997 में ही शहर को स्ट्रीट एनिमल फ्री करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सरकारों ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। सुनवाई के दौरान आवारा पशुओं के लिए काम करने वाली एनजीओ की ओर से कहा गया कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या में कमी आई हैं। इस पर अदालत ने कहा कि नसबंदी करना समस्या का इलाज नहीं हैं। इससे डॉग बाइट की घटनाएं नहीं रूकती हैं। अदालत ने कहा कि कुत्तों का वेलफेयर होना चाहिए। लेकिन पहले हर हाल में राहगीरों पर हमले की घटनाएं रूकनी चाहिए।
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