देवनारायण योजना के लोगों ने कोटा विकास प्राधिकरण सचिव को ज्ञापन दिया। पशुपालकों की ओर से मांग की गई कि जिन लोगों को योजना में बाड़े आवंटित किए जा चुके हैं। वे लोग भी कोटा शहर में आकर पशुपालन कर रहे हैं। इससे योजना के सभी पशुपालक नाराज हैं। ऐसे पशुपालकों को हटाकर तुरंत प्रभाव से योजना में भेजा जाए। देवा भड़क ने बताया- सरकार की ओर से लोटस डेयरी को पशुपालकों से ही दूध खरीदने के निर्देशित किया गया था लेकिन लोटस डेयरी की ओर से किसी भी पशुपालक से दूध नहीं खरीदा जा रहा है। इस कारण पशुपालकों को मजबूरन कोटा शहर में किराया लगाकर दूध बेचने आना पड़ रहा है, जिससे उनकी आमदनी में कमी हो रही है। भड़क ने बताया- पूर्व में प्राधिकरण की ओर से पशुपालकों को घर-घर गैस सप्लाई की जा रही थी, जिससे कि पशुपालकों को चूल्हे पर खाना बनाने से निजात मिली थी। पिछले साल 2024 से ही प्राधिकरण की ओर से बायोगैस प्लांट में से गैस की सप्लाई रोक दी गई है। पशुपालकों की महिलाओं को वापस गोबर के कंडे और लकड़ी पर खाना बनाना पड़ रहा है। उनकी सेहत पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। बारिश के मौसम में सूखी लकड़ी और कंडे (उपले) उपलब्ध नहीं होने के कारण कोटा शहर से गैस सिलेंडर लेकर जाना पड़ रहा है, जो कि हमें काफी महंगा पड़ रहा है। पशुपालकों ने बताया- उन्हें साल 2024 से ही गोबर का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ, जिसके कारण पशुओं के चारा और बच्चों की पढ़ाई में समस्या उत्पन्न हो रही है। प्राधिकरण की ओर से जल्दी से जल्दी गोबर का भुगतान करवाया जाए। ज्ञापन के दौरान योजना के किरण लांगड़ी, मंगलाराम, भागचंद, जीवराज, भंवरलाल, कालू सहित पशुपालक उपस्थित हुए।
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