गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को रेप केस में दोषी आसाराम को 7 जुलाई तक राहत दी। 30 जून को समाप्त हो रही जमानत अवधि को वकीलों की दलीलों और दस्तावेजी प्रक्रिया के चलते बढ़ाया गया। आसाराम के वकील ने कोर्ट में बताया कि NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) से प्रमाण पत्र अभी मिलना बाकी है, जिसमें उनकी 70 साल से अधिक उम्र और टर्मिनल बीमारी की पुष्टि होनी है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार जमानत आदेश के बाद प्रक्रिया में 10 दिन लग गए थे, जिससे वास्तविक राहत का समय कम मिला। विरोधी पक्ष ने आसाराम पर इलाज के नाम पर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने का आरोप लगाया। कहा कि वे किसी भी तरह जेल से बाहर रहना चाहते हैं। जोधपुर में भी बेहतरीन आयुर्वेदिक अस्पताल और एम्स मौजूद हैं, जहां इलाज संभव है। अस्थायी जमानत बढ़ाना अंतहीन प्रक्रिया न बने: गुजरात HC
गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम की 7 दिन की राहत देते महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के अनुसार अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाती है, जिसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने संकेत दिया कि अगली सुनवाई में इस मामले का अंतिम फैसला हो सकता है। उम्र और बीमारी का हवाला देकर मांग रहे राहत
आसाराम बापू की कानूनी टीम लगातार उनकी उम्र, गंभीर बीमारियों और डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए 90 दिन के पंचकर्म थेरेपी का हवाला देकर जमानत बढ़ाने की मांग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 2025 में मेडिकल आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वे अपने अनुयायियों से सार्वजनिक रूप से नहीं मिल सकेंगे और पुलिस की निगरानी रहेगी।
बरसों बाद पिता-पुत्र की मुलाकात, नारायण साईं पहुंचे जोधपुर
नारायण साईं ने पिता आसाराम से मिलने के लिए गुजरात कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 5 दिन की अंतरिम जमानत के साथ उनके खर्च पर पुलिस गार्ड की व्यवस्था के आदेश दिए। निर्धारित राशि जमा करने के बाद नारायण साईं गुरुवार सुबह सूरत से जोधपुर के पाल गांव स्थित आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने पिता से लंबी बातचीत की।
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