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    नौसेना मुख्यालय से पाकिस्तान के लिए जासूसी पर बड़ा खुलासा:गोपनीय दस्तावेज दफ्तर से बाहर आते थे; महिला हैंडलर ऑपरेशन सिंदूर का प्लान पूछती थी

    1 week ago

    पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में दिल्ली के नौ सेना मुख्यालय से पकड़े गए विशाल यादव से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। राजस्थान पुलिस की सीआईडी इंटेलिजेंस को पता चला है कि अपर डिवीजन क्लर्क(UDC) नौसेना भवन से गोपनीय दस्तावेजों के फोटोकॉपी या प्रिंटआउट लेता था और उन्हें छुपाकर बाहर लेकर आता था। सीआईडी इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। यह तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नौसेना मुख्यालय सहित देश के सामरिक महत्व से जुड़े सभी दफ्तरों में मोबाइल व दस्तावेज बाहर से अंदर लेकर जाना व अंदर से बाहर लेकर जाना पूरी तरह बैन हाेता है। इसके साथ ही दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को आते और जाते वक्त कई लेयर की सिक्योरिटी चेकिंग से गुजरना होता है। कार में बैठकर जानकारी पाक हैंडलर को देता था जांच में सामने आया है कि विशाल अपनी विंग की जानकारी ऑफिस से बाहर लेकर आता था। फिर कार में बैठकर खुद के मोबाइल से पाकिस्तानी महिला हैंडलर को भेजता था। सीआईडी इंटेलिजेंस आरोपी के मोबाइल को रिकवर कर उसकी एफएसएल जांच करवा चुकी है। इसमें कई अहम जानकारी सामने आई हैं। सूत्रों ने बताया- आरोपी यूडीसी विशाल यादव और पाक हैंडलर की चैट मिली है। पाक हैंडलर विशाल से यह जानना चाहती थी कि क्या नौ सेना ऑपरेशन सिंदूर के बाद या उस दौरान कोई बड़ा प्लान बना रहे हैं। अगर विशाल से इस प्रकार की कोई जानकारी पाक हैंडलर तक पहुंच जाती तो पाक भी एक्टिव होता, हालांकि इस प्रकार की कोई जानकारी आरोपी की ओर से नहीं दी गई थी। आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने कुछ सूचनाएं पाकिस्तान हैंडलर को भेजी हैं। सीआईडी इंटेलिजेंस की रडार पर था सीआईडी इंटेलिजेंस के अधिकारी के अनुसार, उनकी टीम ने पाक से आने वाले क्रिप्टो करेंसी पर नजर बना रखी थी। इसी दौरान टीम को जानकारी मिली कि पाकिस्तान के संदिग्ध अकाउंट से कुछ पैसा दिल्ली में एक अकाउंट में जा रहा है। अकाउंट होल्डर को सर्विलांस पर लिया गया तो पता चला कि वह नौसेना भवन में कार्यरत है। इस पर शक गहरा गया। टीम उस पर नजर रखने जगी। लंबे समय तक सर्विलांस रखने पर पता चला कि आरोपी ऑनलाइन गेम का शौकीन है। वह इसमें पैसा लगाकर गेम खेलता है। इस पर दोबारा से अकाउंट की जांच की गई। पता चला कि पैसा पाक से आ रहा है। आरोपी को डिटेन कर पूछताछ की गई तो पूरा मामला खुला। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी जानकारी भेजी थी राजस्थान इंटेलिजेंस ने जब विशाल यादव के मोबाइल की फोरेंसिक जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। विशाल यादव ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी नौसेना और अन्य रक्षा संबंधी गोपनीय सूचना महिला पाक हैंडलर को उपलब्ध कराई थी। इसके बदले में उसे 50 हजार रुपए की बड़ी रकम मिली थी। जो मई महीने में उसके बैंक खाते में आई थी। यह रकम क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग अकाउंट में यूएसडीटी और सीधे उसके बैंक खाते में आई। इसका आईपी एड्रेस पाकिस्तान से चल रहा था। इसी इनपुट के बाद राजस्थान पुलिस की खुफिया विंग विशाल यादव के पीछे पड़ गई। महानिरीक्षक पुलिस सीआईडी सुरक्षा विष्णुकांत गुप्ता ने बताया- पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसियों द्वारा की जाने वाली जासूसी गतिविधियों पर सीआईडी इंटेलिजेंस राजस्थान लगातार निगरानी रख रही थी। गुप्ता के मुताबिक इसी निगरानी के दौरान यह जानकारी सामने आई कि नौसेना भवन दिल्ली में डायरेक्टरेट ऑफ डॉकयार्ड में कार्यरत विशाल यादव सोशल मीडिया के माध्यम से एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की महिला हैंडलर के निरंतर संपर्क में था। महिला ने विशाल को अपना नाम प्रिया शर्मा बताया था। विशाल को पैसों का लालच देकर नौसेना भवन से सामरिक महत्व की गोपनीय सूचनाएं निकालने के लिए उकसा रही थी। चाचा का दावा-राजस्थान पुलिस ने मानेसर में गाड़ी रोककर पकड़ा हरियाणा में विशाल के चाचा अनिल यादव ने बताया कि विशाल 16 जून को दिल्ली में ड्यूटी के बाद घर के लिए निकला था। विशाल के दिल्ली से निकलते ही राजस्थान इंटेलिजेंस ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। जब वह मानेसर पहुंचा ताे इंटेलिजेंस ने उसकी गाड़ी रोकी और उसे अपनी गाड़ी में बैठा लिया। विशाल यादव की गाड़ी मानेसर में एक मेडिकल स्टोर के बाहर खड़ी करवा दी। उसके बाद टीम उसे साथ ले गई। 22 जून को आया चचेरे भाई के पास कॉल चाचा ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं था। विशाल के घर न पहुंचने पर परिवार को चिंता होने लगी। अचानक 22 जून को चचेरे भाई के पास कॉल आई कि विशाल 2 दिन में आ जाएगा। कहीं बाहर घूमने गया है। उसके बाद वह एक्टिव हुए और पुलिस से उसका फोन सर्विलांस पर लगवाया। विशाल की लास्ट लोकेशन मानेसर की मिली। इसके बाद परिवार मानेसर पहुंचा तो वहां उसकी गाड़ी मिली। बोलेरो के नंबर से पहुंचे जयपुर चाचा ने बताया कि राजस्थान इंटेलिजेंस की जिस गाड़ी से टीम विशाल को उठाने के लिए आई थी, उसका नंबर किसी ने नोट किया था। उस नंबर का जब रजिस्ट्रेशन चेक करवाया तो वो जयपुर इंटेलिजेंस SP का मिला। इसके बाद वह 24 जून को जयपुर पहुंचे। जहां पर उन्होंने इंटेलिजेंस SP से बात की। पुलिस ने दिखाए सबूत अनिल ने बताया कि जब उन्होंने गिरफ्तारी का कारण पूछा तो उन्हें विशाल के खाते में पाकिस्तान से हुई ट्रांजेक्शन दिखाई गई। इसके अलावा पाकिस्तानी हैंडलर के साथ हुई चैट के बारे में भी दिखाया गया। फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप के अलावा दूसरी सोशल साइट्स पर विशाल ने चैटिंग की थी। चाचा बोले- इंटेलिजेंस को कुछ तो मिला होगा, तभी उठाया चाचा अनिल ने कहा कि मेरा घर विशाल के साथ ही है। इंटेलिजेंस को कुछ तो मिला होगा, इसलिए ही विशाल को उठाया है। जांच के बाद स्थिति क्लियर हो जाएगी। अगर विशाल सही होगा तो कोई दिक्कत नहीं है, अगर कुछ रोल होगा तो कानून अपना काम करेगा। मर्चेंट नेवी में था चचेरा भाई, 2018 में गायब चाचा अनिल यादव के बेटे ने भी मर्चेंट नेवी जॉइन की थी। साल 2018 में वह मलेशिया से गायब हो गया था, जिसका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। बताया जा रहा है कि उसे रेवाड़ी शहर के विकास नगर के रहने वाले विशाल नाम के युवक ने ही ट्रिप पर भेजा था। --- ये भी पढ़ें... नौसेना-कर्मचारी से प्रिया शर्मा बनकर बात करती थी पाकिस्तानी हैंडलर:बोली थी-अच्छी खबर के ज्यादा पैसे दूंगी; 50 हजार में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार नौसेना भवन दिल्ली में तैनात अपर डिवीजन क्लर्क (UDC) विशाल यादव से पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरोपी विशाल पैसों के लालच में पाकिस्तानी हैंडलर को सूचनाएं दे रहा था। उसने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारी भी दी थी। उसके बदले उसे 50 हजार रुपए मिले थे। अब तक उसके खाते में 2 लाख रुपए आ चुके थे। (पूरी खबर पढ़ें)
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