पश्चिमी राजस्थान में एक तरफ जहां बारिश की कमी की वजह से सूखे की समस्या रहती है। वहीं पश्चिमी राजस्थान में काजरी के प्रयासों से खजूर की उन्नत किस्म तैयार की गई है। आज से 10 साल पहले गुजरात के आनंद यूनिवर्सिटी से प्रयोग के तौर पर यहां लगाए गए पौधे अब यहां के किसानों को भी खजूर की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। काजरी के वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह ने बताया- कजरी में आनंद कृषि विश्वविद्यालय गुजरात से 2015 में खजूर की एडीपी 1 किस्म के 160 पौधे लाकर संस्थान में रिसर्च शुरू किया गया था। इन पौधों को टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किया गया। इनके परिणाम बेहतरीन आए। काजरी में वर्तमान में यह पौधे अच्छी उपज दे रहे हैं। उन्होंने बताया- खजूर के एक पौधे पर 180 से 200 किलो की उपज होती है। एक पौधे का खर्च 2.5 से 5 हजार तक होता है। इन पौधों में 3 साल बाद खजूर लगना शुरू हो जाता है। जिनकी उम्र 30 वर्ष तक होती है एक पेड़ पर 7 से 10 गुच्छे लगते हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम में राजस्थान में खास तौर पर सूखे की समस्या रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए खजूर का पौधा किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। हालांकि इस पौधे के लिए पानी अधिक चाहिए होता है लेकिन खास बात यह है कि यह पौधा खारे पानी में भी उग सकता है ल। इतना ही नहीं यदि इसमें गुणवत्तापूर्ण तरीके से ट्रीट किया हुआ पानी उपयोग लिया जाए तो भी यह पौधा उग सकता है। खेती किसानी करने वाले किसानों को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर में आसानी से 156 पौधे लगाकर खेती शुरू की जा सकती है जिनमें से 7 नर पौधे होने चाहिए। खजूर के पौधे को पानी के साथ ही तेज धूप भी चाहिए। राजस्थान में पड़ने वाली तेज धूप खजूर के पौधों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। इसके अलावा इन्हें उच्च गुणवत्ता वाले ड्रायर में सुखाकर विदेशों तक एक्सपर्ट भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खजूर के पौधे को उगाने का सबसे बेहतरीन समय जुलाई, अगस्त से सितंबर होता है। जबकि फरवरी मार्च से अप्रैल में इन पौधों पर फ्रूट लगने शुरू हो जाते हैं।
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